इन 6 बातों से आपकी कामयाबी का रास्ता हो जाएगा साफ
जीवन में सफलता और सुख वही व्यक्ति प्राप्त करता है जो हमेशा ही चिंतन और मनन करता है। जो निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते रहता है वहीं कुछ उल्लेखनीय कार्य कर पाता है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं-
हौं केहिको का मित्र को, कौन काल अरु देश।
लाभ खर्च को मित्र को, चिंता करे हमेशा।
अभी समय कैसा है? मित्र कौन हैं? यह देश कैसा है? मेरी कमाई और खर्च क्या हैं? मैं किसके अधीन हूं? और मुझमें कितनी शक्ति है? इन छ: बातों को हमेशा ही सोचते रहना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है जिसे इन छ: प्रश्नों के उत्तर हमेशा मालुम रहते हो। समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं। हमें यह भी मालुम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं? क्योंकि अधिकांश परिस्थितियों में मित्रों के भेष में शत्रु भी आ जाते हैं। जिनसे बचना चाहिए।
व्यक्ति को यह भी मालुम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी हैं? वहां का वातावरण कैसा हैं? वहां का माहौल कैसा है? इन बातों के अलावा सबसे जरूरी बात हैं व्यक्ति को उसकी आय और व्यय की पूरी जानकारी होना चाहिए। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि समझदार इंसान को मालुम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह क्या-क्या कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं। इसके साथ व्यक्ति को यह भी मालुम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन हैं? और वह आपसे चाहता क्या हैं?
कौन हैं आचार्य चाणक्य?
आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थे लेकिन उनकी राजनीति में गहरी पकड़ थी। इनके पिता का नाम आचार्य चणी था इसी वजह से इन्हें चणी पुत्र चाणक्य कहा जाता है। संभवत: पहली बार कूटनीति का प्रयोग आचार्य चाणक्य द्वारा ही किया गया था। जब उन्होंने सम्राट सिकंदर को भारत छोडऩे पर मजबूर कर दिया। इसके अतिरिक्त कूटनीति से ही उन्होंने चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट भी बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा श्रेष्ठ जीवन के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ रचा गया है। इसमें दी गई नीतियों का पालन करने पर जीवन में सफलाएं अवश्य प्राप्त होती हैं।
नाकामियां खोलती हैं कामयाबी का रास्ता
एक मित्र हैं जो लगभग हर चौराहे पर लगी ट्रैफिकलाइट्स से बहुत परेशान रहते हैं। वह कहते हैं कि दसकिलोमीटर का जो सफर दस मिनट में पूरा हो जानाचाहिए , ट्रैफिक लाइट्स की वजह से आधे घंटे में भी पूरानहीं होता। उनके अनुसार रेड लाइट ट्रैफिक की तेजी मेंबाधा डालती हैं।
विचार कीजिए कि अगर ये ट्रैफिक लाइट्स न हों तो क्याहम अपने गंतव्य पर जल्दी पहुंच जाएंगे ? शायद नहीं।संभव है पहुंच ही न पाएं। ट्रैफिक लाइट्स की जरूरत हीइसलिए है ताकि हम अपने गंतव्य पर जल्दी और सुरक्षितपहुंच सकें।
हर ट्रैफिक लाइट यह भरोसा दिलाती है कि जैसे ही हम इसबाधा को पार करेंगे , अपने गंतव्य के थोड़ा और नजदीक पहुंच जाएंगे। रात और दिन की तरह लाल के बाद हरीऔर हरी के बाद लाल बत्ती होना निश्चित है। अपने रास्ते में पड़ने वाली हम जितनी लाल बत्तियां पार करजाएंगे , हमारा गंतव्य उतने ही निकट आता जाएगा।
ट्रैफिक सिग्नल तो एक प्रतीक है। इनकी तरह ही हमारे जीवन की राह में भी अनेक रुकावटें आती रहती हैं। इनरुकावटों का अर्थ ही है कि हम आगे बढ़ रहे हैं। यदि हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हमारे रास्ते कीसारी बाधाएं दूर हो जाएंगी और हम अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। यदि हमारे रास्ते में ये बाधाएं न आतीं औरहम उन्हें दूर नहीं करते तो क्या अपने गंतव्य पर पहुंचने का सुख पा लेते ? यानी हम वह सफलता हासिल करपाते जिसके लिए हम जीवन में प्रयास करते हैं।
उर्दू शायर मिर्जा गालिब ने फरमाया है :
रंज से खूगर हुआ इंसां तो मिट जाता है रंज ,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं।
जीवन का कोई भी रास्ता सरल अथवा निर्बाध नहीं होता। कामयाबी के हर रास्ते में कई मुश्किलों का आना तयहै। हर बड़ी सफलता के पीछे अनेक छोटी - छोटी असफलताएं छिपी रहती हैं। किसी बड़े पत्थर के टुकड़े करने केलिए हमें उस पर असंख्य प्रहार करने पड़ते हैं। अंत में एक प्रहार ऐसा होता है कि वह पत्थर को दो या अधिकटुकड़ों में बांट देता है। लेकिन क्या अंतिम प्रहार से पहले किए गए सारे प्रहार निरर्थक थे ?
नहीं। ऊपर से बेशक पहले का हर प्रहार निरर्थक लगता हो लेकिन हर प्रहार पूरी तरह सार्थक था क्योंकि उनप्रहारों में ही अंतिम प्रहार की सफलता छिपी हुई थी। हर चोट ने निरंतर उस पत्थर को टूटने के अधिकाधिकनिकट ला दिया था।
वास्तव में थोड़ी - बहुत असफलताओं के बिना सफलता संभव ही नहीं। बिना असफलताओं के और कोशिश किएबिना हमें जो कुछ हासिल होता है , क्या उसे हम सफलता कह सकते हैं ? जहां तक कुछ सीखने का संबंध है व्यक्तिअपनी सफलताओं की बजाय असफलताओं से सीखता है। हर असफलता से उसे पुनर्मूल्यांकन का अवसर मिलताहै।
सफलता के बाद हम कभी अपना पुनर्मूल्यांकन नहीं करते। समस्या आए बगैर हम रास्ता नहीं खोजते। समस्याएंही हमें उपाय खोजने के लिए प्रेरित करती हैं। समस्याओं अथवा असफलताओं के बाद ही हम अधिक चिंतनशीलहोते हैं तथा हममें धैर्य का विकास भी होता है। ठोकर खाने के बाद ही हम अपनी असफलता का कारण जानने काप्रयास करते हैं। तब हमें अपनी कमियों और सीमाओं का पता चलता है। इसके बाद ही नए सिरे से आगे बढ़ने केलिए अपनी क्षमता का विकास करते हैं।
जीवन की हर असफलता किसी बड़ी सफलता का आधार बनाती है। यह बात अक्सर कही जाती है कि प्रतिकूलया विषम परिस्थितियां प्रतिभा को प्रकट करती हैं जबकि समृद्धि में इसका लोप हो जाता है। असल में सफल वह है जो असफलता की स्थिति में भी निराश न होकर विषमताओं को स्वीकार करके आगे बढ़ने का प्रयास करता है।प्रयास न करना अथवा असफल होने पर किसी कार्य को बीच में ही छोड़ देना असफलता का प्रमुख कारण है।
Jai Nmart Jai Nmart ...............
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